मध्यप्रदेश के 83 फर्जी कॉलेजों की मान्यता रद्द, उच्च शिक्षा विभाग ने एडमिशन पर लगाई रोक; ग्वालियर-रीवा में सबसे ज्यादा फर्जी कॉलेज

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भोपाल। मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के बाद अब प्राइवेट कॉलेजों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग ने 83 प्राइवेट कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है और नए सत्र से इनमें एडमिशन पर रोक लगा दी है। इन फर्जी कॉलेजों में सबसे ज्यादा ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी और रीवा की अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज शामिल हैं।

खेत में चल रहा था कॉलेज, 900 छात्रों को दे दी डिग्री
सबसे चौंकाने वाला मामला ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी से संबद्ध विंग्स कॉलेज का है। दस्तावेजों में इसका पता रतवई, चितौरा रोड, मुरार, ग्वालियर दर्ज है, जहां बीए, बीकॉम और बीएससी की डिग्री दी जाती थी। 2020 में शुरू हुए इस कॉलेज से अब तक 900 छात्र डिग्री ले चुके हैं। जांच में पता चला कि कॉलेज के पते पर कोई इमारत नहीं, बल्कि खेत है।

कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
2022 में ग्वालियर के अरुण कुमार शर्मा ने मुरैना के झुंडपुरा में चल रहे शिवशक्ति कॉलेज की शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) से की। शिकायत में बताया गया कि यह कॉलेज फर्जी है और इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। ईओडब्ल्यू की जांच में शिकायत सही पाई गई। जांच में सामने आया कि कॉलेज संचालक रघुराज सिंह जादौन ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी और अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज बनाए। इनके आधार पर कॉलेज को मान्यता दी गई, फर्जी एडमिशन दिखाए गए और स्कॉलरशिप सहित सरकारी लाभ भी हासिल किए गए।

18 प्रोफेसर और स्टाफ पर केस, कुलगुरु बर्खास्त
13 जनवरी 2025 को ईओडब्ल्यू ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी, गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी के कुलगुरु डॉ. केएस ठाकुर समेत 18 प्रोफेसर और स्टाफ के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया। एक महीने बाद राज्यपाल ने प्रो. तिवारी को बर्खास्त कर दिया।

729 कॉलेजों की जांच, 83 फर्जी
इस घोटाले के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जनवरी 2025 में प्रदेश की 9 यूनिवर्सिटियों से संबद्ध 729 प्राइवेट कॉलेजों का भौतिक सत्यापन किया। जांच में 83 कॉलेजों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। कुछ कॉलेज बिना भवन के चल रहे थे, तो कुछ एक कमरे से संचालित थे। सबसे ज्यादा फर्जी कॉलेज जीवाजी यूनिवर्सिटी (19), अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी, रीवा (9), और महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, छतरपुर (3) से संबद्ध पाए गए।

ये थे जांच के 10 मानक
उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों की जांच 10 बिंदुओं पर की, जिसमें शामिल हैं:
1. कॉलेज का भवन स्वयं का, किराए का या लीज पर।
2. भूमि का खसरा नंबर और डायवर्जन की जानकारी।
3. भवनों की संख्या और निर्मित क्षेत्रफल।
4. प्राचार्य कक्ष, व्याख्यान कक्ष, पुस्तकालय, एनसीसी-एनएसएस कक्ष की उपलब्धता।
5. छात्राओं के लिए कॉमन रूम, प्रयोगशालाएं, खेल मैदान, पार्किंग।
6. विद्यार्थियों और स्टाफ की संख्या।
7. नए सिलेबस के लिए एनओसी की स्थिति।
8. अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था।
9. अलग-अलग वॉशरूम और दिव्यांगजनों के लिए रैंप।

कलेक्टरों की टीम ने की जांच
उच्च शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को जांच दल गठित करने के निर्देश दिए। इसमें राजस्व विभाग के अधिकारी और सरकारी कॉलेजों के दो नियमित शिक्षक शामिल थे। जांच दल ने सात दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके अलावा, शीर्ष महाविद्यालयों की एक विशेष टीम ने भी सत्यापन किया।

फर्जी कॉलेजों की यूनिवर्सिटी-वार संख्या
– जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर: 19
– अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी, रीवा: 9
– महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, छतरपुर: 3
– देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी, इंदौर: 2
– बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल: 1
– विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन: 1
– छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी: 1

उच्च शिक्षा विभाग ने सभी 83 कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नए सत्र से इनमें एडमिशन पूरी तरह प्रतिबंधित होंगे। विभाग ने यूनिवर्सिटियों को भी चेतावनी दी है कि भविष्य में मान्यता देने से पहले गहन जांच करें।

Dashpur Disha
Author: Dashpur Disha

दशपुर दिशा समाचार पत्र भारत के प्रेस महापंजीयक कार्यालय नई दिल्ली से पंजीकृत है। दशपुर दिशा मालवांचल में खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित समाचार पत्र है। www. dashpurdisha.com हमारी अधिकृत वेबसाइट है।

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