मंदसौर। मन्दसौर में 2018 में 7 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के फैसले से जनता में गुस्सा है। इस निर्णय के विरोध में मंदसौर में आज, 4 जुलाई 2025 को पूर्ण बंद का आह्वान किया गया है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन इस फैसले को अन्याय करार दे रहे हैं और दोषियों को फांसी की सजा की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं।
घटना का विवरण
26 जून 2018 को मंदसौर के मदारपुरा निवासी इरफान उर्फ भय्यू मेवाती और आसिफ मेवाती ने सरस्वती शिशु मंदिर की एक नाबालिग छात्रा का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। दरिंदों ने बच्ची को गंभीर हालत में झाड़ियों में छोड़ दिया था। 24 घंटे तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करती बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसके बाद मंदसौर सहित देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
स्थानीय पॉक्सो कोर्ट ने रिकॉर्ड 55 दिनों में सुनवाई पूरी कर 31 अगस्त 2018 को दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जनवरी 2025 में मामले की पुनः सुनवाई हुई। 30 जून 2025 को पॉक्सो एक्ट की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने डीएनए साक्ष्य और जेल रिकॉर्ड के आधार पर फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
जनता में आक्रोश, मुख्यमंत्री के नाम सौंपेंगे ज्ञापन
इस फैसले से मंदसौर की जनता में भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह निर्णय जनभावनाओं के खिलाफ है और बच्ची के साथ हुए जघन्य अपराध के लिए दोषियों को फांसी ही दी जानी चाहिए। विरोध प्रदर्शन के तहत 4 जुलाई 2025 को मंदसौर बंद का आह्वान किया गया था जो पूर्णतः सफल रहा। आज सुबह से मन्दसौर पूरी तरह बंद है।
आज दोपहर 3 बजे आजाद चौक पर सर्व समाज एकत्र होकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगा। सभी सामाजिक संगठनों से अपील की गई है कि वे अपने-अपने समाज की ओर से दोषियों को फांसी की मांग वाला ज्ञापन साथ लाएं।
वर्ग विशेष का नेटवर्क और फंडिंग
स्थानीय लोगों का आरोप है कि आर्थिक रूप से कमजोर दोषियों के पक्ष में लाखों रुपये की फंडिंग की गई और महंगे वकीलों के जरिए सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा को चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में जल्दबाजी और वैज्ञानिक साक्ष्यों के अभाव का हवाला देते हुए मामले को पुनः सुनवाई के लिए भेजा था। इस फैसले को स्थानीय लोग “वर्ग विशेष के नेटवर्क” का परिणाम मान रहे हैं।
जनता की मांग
मन्दसौर और अंचल की जनता ने मांग की है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और उच्च न्यायालय में कुशल व विशेषज्ञ वकीलों की टीम के साथ अपील करे। उनका कहना है कि दोषियों को फांसी की सजा सुनिश्चित की जाए ताकि समाज में ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ कड़ा संदेश जाए।
Author: Dashpur Disha
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