पिछले 10 दिनों में जिले में पटवारियों पर लोकायुक्त ट्रेपिंग से लेकर वेतन काटने और सस्पेंड करने तक की हो चुकी कार्रवाई
न केवल पटवारी बल्कि नायब तहसीलदार, तहसीलदार की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
मन्दसौर। राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार की स्थिति का अंदाजा बीते दिनो में हुए कुछ घटनाक्रमों से ही लगाया जा सकता है। प्रदेश सरकार की सीएम हेल्पलाइन हो, कलेक्टर-कमिश्नर की जनसुनवाई हो या फिर लोकायुक्त की रेड सबसे अव्वल फिलहाल राजस्व विभाग ही दिखाई दे रहा है। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव बार बार राजस्व विभाग में सुधार की बात मंचो के कहते सुनाई पड़ते है किंतु धरातल पर नौकरशाही हावी है।
बीते दिनों मन्दसौर में कलेक्टर ने कार्य मे लापरवाही बरतने वाले कुछ पटवारियों के वेतन काटने और जनसुनवाई में शिकायत सही पाए जाने पर पटवारी को निलंबित करने का आदेश भी दिया इससे पूर्व एक पटवारी को लोकायुक्त ने भी रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा इसके बावजूद स्थितियों में सुधार आने के बजाय राजस्व विभाग के भ्रष्टाचार के नित नए मामले प्रकाश में आ रहे है।
मन्दसौर में कुछ दिनों पूर्व ही पारिवारिक बंटवारे के लिए तहसीलदार के नाम पर 25000 की रिश्वत मांगने वाले हल्का नम्बर 42 इशाकपुर के पटवारी जगदीश पाटीदार को 10000 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने रंगेहाथों पकड़ा था। आपसी बंटवारे में इतनी बड़ी राशि पटवारी अकेला अपने पास न रखकर इसका हिस्सा तहसीलदार तक पहुंचाने वाला था इसका खुलासा खुद पटवारी ने लोकायुक्त टीम के सामने किया था।
इससे कुछ माह पूर्व मन्दसौर ग्रामीण के नायब तहसीलदार रहे राकेश बर्डे के स्टेनो विशाल जैन का रिश्वतखोरी ऑडियो का भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। ऑडियो में बाबू नायब तहसीलदार का नाम लेते हुए स्पष्ट सुनाई दे रहा था। प्रकरण के सामने आने के बाद उच्च अधिकारियों ने दोनों के विरूद्ध बड़ी कार्रवाई करने के बजाय नायब तहसीलदार को राकेश बर्डे को शामगढ़ तहसील और बाबू विशाल जैन को गरोठ तहसील में भेज दिया। जबकि ऑडियो के आधार पर दोनों के विरूद्ध जाँच बैठाकर कार्रवाई की जानी थी।
कल सुशासन भवन मन्दसौर में जमुनिया गांव के ग्रामीणों ने धुँधड़का के नायब तहसीलदार राहुल डावर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, ग्रामीण बड़ी संख्या में एकत्रित होकर कलेक्ट्रेट पहुँचे और नायब तहसीलदार सुनील डावर पर भ्रष्टाचार के खुले आरोप लगाए।
ग्रामीणों का आरोप था कि नायब तहसीलदार सुनील डावर अपने पदीय कर्तव्यों का दुरूपयोग कर रहे है। 42 बीघा जमीन का मामला न्यायालय में विचाराधीन होने और इसका पूर्व में हाईकोर्ट से स्थगन होने के बावजूद नायब तहसीलदार अपनी हठधर्मिता दिखाकर उसकी नपती का आदेश कर रहे है। ग्रामीणों ने डावर पर भूमाफियाओं से मिलीभगत के और भ्रष्टाचार के खुले आरोप लगाए और धुँधड़का से हटाने की मांग भी की। इस मामले में भी कार्रवाई की बजाय फिलहाल ग्रामीणों को आश्वासन ही मिला है, क्या कार्रवाई होगी ये फिलहाल भविष्य की गर्त में है।
ग्रामीण क्षेत्रो में कुछ पटवारी और उनको संरक्षण देने वाले अधिकारी ग़दर मचा रहे है। आपसी बंटवारा हो, स्वामित्व योजना हो, नपती हो, बटांकन हो, नामान्तरण हो या फिर राजस्व से जुड़ा कोई भी मामला हो बिना लेनदेन के फ़ाइल इधर से उधर नही कर रहे है।
कुछ पटवारी तो ऐसे है जो दो पक्षों के बीच विवाद की स्थिति खुद पैदा करवा देते है और फिर समाधान करने के लिए दोनों पक्षों से वसूली कर लेते है या फिर जिधर वजन ज्यादा उसका काम करते है।
पटवारियों के धनबल, बाहुबल और राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार की हद का नमूना अगर देखना हो तो गत दिवस मल्हारगढ़ में हुई कलेक्टर की जनसुनवाई इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जनसुनवाई में आए व्यक्ति की फरियाद सुनकर कलेक्टर ने पटवारी को निलंबित किया। इससे पूर्व भी कलेक्टर ने कुछ पटवारियों के द्वारा महत्वपूर्ण योजनाओं में कोताही बरतने पर वेतन काटने का आदेश दिया था।
राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है ये किसी से छिपी हुई नही है। छोटे से छोटे काम के लिए पटवारी से लेकर तहसील कार्यालय के बाबू, नायब तहसीलदार, तहसीलदार तक रिश्वत की भेंट चढ़ती है उसके बाद फाइलों पर अमल होता है। वर्तमान समय मे ये स्थिति है कि कोई व्यक्ति अपनी निजी जमीन पर कब्ज़ा होने से रोकना चाहे और उसके पास सभी दस्तावेज मौजूद हो तो भी बिना लिए-दिए उसका काम नही हो सकता।
पटवारियों के मुख्यालय पर रहने के आदेश का नही हो रहा पालन
शासन के निर्देश पर कार्यालय कलेक्टर भू अभिलेख जिला मन्दसौर ने दिनांक 14/10/2024 को एक आदेश जारी किया था, जिसमे पटवारियों को सप्ताह में दो दिन मंगलवार और गुरुवार को ग्राम पंचायत मुख्यालय पर उपस्थित रहने का उल्लेख था। ये व्यवस्था शासन ने ग्रामीणों और किसानों की सुविधा के लिए की थी किन्तु इसका पालन धरातल पर नही हो रहा है।
अधिकांश पटवारी तहसील मुख्यालय पर निजी कार्यालय बनाकर बैठते है। आवश्यकता होने पर ग्रामीण और किसान इनके कार्यालयो के चक्कर काटते रहते है।

Author: Yogesh Porwal
वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।