गरोठ विधायक चंदर सिंह सिसौदिया ने विधानसभा में पूछा सवाल – आम नागरिकों के अतिक्रमण तुरंत हटाए जाते है तो ग्रेसिम इडंस्ट्री के अतिक्रमण पर कार्रवाई क्यों नहीं की
दशपुर दिशा । योगेश पोरवाल
मंदसौर। गरोठ विधानसभा क्षेत्र के विधायक चंदरसिंह सिसौदिया द्वारा विधानसभा में उज्जैन जिले के नागदा में एक निजी फैक्ट्री ग्रेसिम इंडस्ट्री के अतिक्रमण का सवाल उठाने पर क्षेत्र की जनता में आश्चर्य और चर्चा का माहौल है। विधायक ने अपने क्षेत्र की शासकीय भूमियों पर हो रहे अतिक्रमण जैसे गंभीर मुद्दे को छोड़कर नागदा के ग्रेसिम इंडस्ट्री द्वारा शासकीय भूमि पर किए गए अतिक्रमण का मामला उठाया, जिसका गरोठ या मंदसौर जिले की जनता से कोई सीधा सरोकार नहीं है।

विधायक सिसौदिया ने विधानसभा में पूछा कि तहसीलदार नागदा द्वारा 10 फरवरी 2025 को ग्रेसिम इंडस्ट्री के खिलाफ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर 15 दिन में शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया गया था। उन्होंने यह भी सवाल किया कि अतिक्रमण हटाने की अवधि समाप्त होने के बाद अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नागदा ने उद्योग प्रबंधकों से सांठ-गांठ कर स्थगन आदेश कैसे जारी किया और आम नागरिकों के अतिक्रमण तुरंत हटाए जाते हैं, तो इस प्रकरण में कार्यवाही क्यों नहीं हुई। साथ ही, गलत स्थगन आदेश देने वाले अधिकारी पर क्या कार्रवाई की गई।
गरोठ में अतिक्रमण का मुद्दा गर्म, जनता में नाराजगी
गरोठ विधानसभा क्षेत्र में शासकीय भूमियों पर भूमाफियाओं द्वारा अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों के निर्माण की खबरें लगातार सुर्खियों में हैं। क्षेत्र की जनता का कहना है कि विधायक को स्थानीय समस्याओं, विशेषकर शासकीय भूमि पर हो रहे अतिक्रमण, को विधानसभा में उठाना चाहिए था। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि यही सवाल गरोठ के अतिक्रमण पर पूछा जाता, तो जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाता।
नागदा के लोगों की प्रतिक्रिया
नागदा के एक फेसबुक यूजर अजय शर्मा ने टिप्पणी की, “बाहर के विधायक नागदा के उद्योग में इतनी रुचि ले रहे हैं, कोई नया उद्योग भी लगवा दो भाई।” वहीं, अमित पंडित नामक यूजर ने लिखा, “ये तो भाजपा के विधायक हैं, इन्हें नागदा के उद्योग प्रेमी भाजपा नेता ही सवाल बनाकर दे रहे हैं।”
विधायक ने उठाए अन्य मुद्दे, लेकिन स्थानीय समस्याएं उपेक्षित
हालांकि विधायक सिसौदिया ने उज्जैन संभाग में अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई का मुद्दा भी विधानसभा में उठाया है, लेकिन गरोठ में शासकीय भूमियों पर अतिक्रमण का मामला अभी तक प्राथमिकता में नहीं दिखा। हालांकि विधायकों को पूरे प्रदेश के किसी भी विधानसभा क्षेत्र का प्रश्न पूछने का अधिकार है। किन्तु क्षेत्र की जनता का कहना है कि स्थानीय समस्याओं को प्राथमिकता देना विधायक की जिम्मेदारी है।
खैर ये केवल चंदरसिंह सिसौदिया ही नहीं अन्य विधायकों द्वारा भी नागदा की इंडस्ट्रियों को लेकर सवाल पूछ जाते रहे है। इसी विधानसभा सत्र में मन्दसौर विधायक विपिन जैन ने भी नागदा के लेक्सस उद्योग के जल क्रय को लेकर सवाल पूछा है। सवाल होने चाहिए इससे विधायकों की सक्रियता का भी पता चलता है किन्तु जनहित और क्षेत्रहित को छोड़कर अन्य जिलों के प्रश्न पूछे जाना औचित्यहीन प्रतीत होते है।
इन कॉलोनियों में पाया गया शासकीय भूमि पर अतिक्रमण
कुछ साल पहले गरोठ की अवैध कॉलोनी सिद्धालय में सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण पाया गया था, जिसे शिकायत के बाद प्रशासन ने छुड़वाया था। अभी कुछ समय पहले ही कॉलोनाइजर आशीष डपकरा की कॉलोनी आनंदधाम में कॉलोनी की बाउंड्री वाल और पानी की टंकी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बना दी गई। एक अन्य कॉलोनी गणेश विहार में भी चारागाह की भूमि पर कब्जा कर कॉलोनी के लिए सड़क बना ली। हालांकि दोनों कॉलोनियों की शिकायत के बाद प्रशासन ने जांच दल गठित कर अवैध निर्माण की पुष्टि कर ली किन्तु अभी भी मौके पर कॉलोनाइजरों का अवैध निर्माण यथावत है।
Author: Yogesh Porwal
वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।








