सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करना छात्रों को पड़ा भारी, जिला संयोजक और छात्रावास अधीक्षक ने दूसरे छात्र पर दबाव बनाकर करवा दी एफआईआर!

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मामला आदिम जाति कल्याण विभाग से जुड़ा हुआ है, गत दिवस रात 11 बजे हुई थी 2 छात्रों पर एफआईआर, सुबह फरियादी बोला-डीओ मैडम और अधीक्षक ने डाला दबाव

मन्दसौर। आदिम जाति कल्याण विभाग मन्दसौर के महाविद्यालयीन छात्रावास के छात्र पिछले 6 महीने से से छात्रावास में मूलभूत समस्याओं के समाधान की मांग छात्रावास अधीक्षक और जिला संयोजक से कर रहे थे किन्तु जब उनकी समस्याओं पर कोई समाधान नही हुआ तो छात्रों ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवा दी।
सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद जिला संयोजक रेखा पांचाल और छात्रावास अधीक्षक चरण सिंह ने इसे अपना प्रेस्टिज इश्यू मानकर छात्रों की समस्याओं में कोई सुधार न करवाते हुए उनके विरूद्ध षड्यंत्र करना शुरू कर दिया।
पहले तो सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने वाले छात्रों को नोटिस थमा दिए, धमकी दी गई की छात्रावास से नाम काट देंगे लेकिन इसके बाद भी छात्र अपनी मांग पर अड़े रहे और एनएसयूआई के साथ कार्यालय कलेक्टर में धरना दे दिया तो उसी दिन से अपनी जायज मांग के लिए धरना दे रहे छात्र जिला संयोजक और छात्रावास अधीक्षक की आखों की किरकिरी बन गए।
बताया जा रहा है कि करीब 5-6 माह पूर्व महाविद्यालयीन छात्रावास के छात्रों ने आपसी विवाद की कोई शिकायत कार्यालय में की थी उसको आधार बनाकर जिला संयोजक और छात्रावास अधीक्षक ने छात्र नरसिंह को दबाव डालकर बोला कि थाने में चलकर बयान दे दे। फरियादी छात्र नरसिंह ने बताया कि मेरा कोई विवाद नही था, जिला संयोजक मैडम और अधीक्षक ने डरा धमकाकर, दबाव डालकर और गाड़ी में बैठाकर वायडी नगर थाने में लाकर गलत तरीके से एफआईआर दर्ज करवाई है। छात्रावास अधीक्षक चरण सिंह चाहता है कि महेश परमार का एडमिशन निरस्त हो जाए और भविष्य बर्बाद हो जाए। अब भी जिला संयोजक रेखा पांचाल और अधीक्षक चरण सिंह का दबाव आ रहा है। मैं एफआईआर वापस लेना चाहता हूं।

जिला संयोजक और छात्रावास अधीक्षक की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
आदिम जाति कल्याण विभाग मन्दसौर के महाविद्यालयीन छात्रावास के छात्रों पर एफआईआर करवाने के मामले में फरियादी के खुलासे के बाद जिला संयोजक और छात्रावास अधीक्षक की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे है। जब 5-6 माह पूर्व का मामला है तो अचानक से अभी एफआईआर कैसे हो गई ? इतने दिन तक जांच कहा अटकी रही? क्या छात्रावास में रैगिंग जैसा घटनाक्रम चल रहा था तो इसकी जानकारी छात्रावास अधीक्षक को नही थी या फिर छात्रावास अधीक्षक छात्रावास में उपस्थित नही रहते थे ? जिला संयोजक इतनी बड़ी घटना से इतने दिनों तक अनभिज्ञ क्यों थी ? क्या प्रतिमाह निरीक्षण करने वाले निरीक्षणकर्ता ने अपनी मासिक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि छात्रावास में रैगिंग जैसी घटनाएं हो रही है? अगर नही किया तो इसको छिपाने की क्या वजह है? ये सब प्रश्नों के उत्तर जिला संयोजक से कलेक्टर को पूछे जाने चाहिए।

अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग को लेना चाहिए एक्शन
इस प्रकरण में अनुसूचित जाति जनजाति आयोग को संज्ञान लेना चाहिए, क्योकि एक अनुसूचित जाति वर्ग छात्रों के विरूद्ध इस प्रकार एफआईआर दर्ज करवाकर दबाव बनाने का प्रयास किया गया। जबकि फरियादी पूरी घटना से साफ इंकार कर रहा है।
छात्रावास में समस्याओं के निदान के बजाय झूठे प्रकरण में छात्रों को फंसाकर उनके विरूद्ध बिना जांच के प्राथमिकी दर्ज करने पर मानवाधिकार आयोग को भी संज्ञान लेना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार की घटनाओं से छात्रावास के छात्रों में डर का माहौल बनेगा और भविष्य में छात्र छात्रावास की समस्याएं बताने से भी डरेंगे।

संदेह के दायरे में छात्रावास अधीक्षक की नियुक्ति
जिस महाविद्यालयीन बालक छात्रावास में ये पूरा घटनाक्रम हुआ है उसके अधीक्षक चरण सिंह की नियुक्ति सन्देह के दायरे में है। क्योंकि चरण सिंह जब स्थानांतरित होकर आए तब वे अतिशेष थे। उनका स्थानांतरण महाविद्यालयीन छात्रावास में नही होकर जिला संयोजक कार्यालय में हुआ था। वर्तमान में सरकार ने सभी विभागों में संलग्नीकरण पर रोक लगा रखी है किंतु उसके बावजूद जिला संयोजक रेखा पांचाल ने छात्रावास अधीक्षक चरण सिंह को छात्रावास से नही हटाया है।
छात्रावास अधीक्षक प्राथमिक शिक्षक है जबकि महाविद्यालयीन छात्रावास में उच्च श्रेणी शिक्षक को पदस्थ करने के निर्देश है। जिला संयोजक द्वारा वरिष्ठ अधीक्षक को हटाकर मध्य सत्र में कनिष्ठ अधीक्षक को प्रभार कैसे दे दिया ये भी जांच का विषय है।

यह कहना है इनका –
महाविद्यालयीन बालक छात्रावास के छात्रों द्वारा छात्रावास की समस्याओं के समाधान को लेकर लम्बे समय से मांग की जा रही थी। जिसके बाद छात्रों के साथ एनएसयूआई ने कलेक्टर कार्यालय में धरना दिया था। धरने के बाद कलेक्टर महोदया ने छात्रावास में व्यवस्थाओं को सुधारने का आश्वासन दिया था किंतु आदिम जाति कल्याण विभाग जिला संयोजक रेखा पांचाल और अधीक्षक चरण सिंह चौहान द्वारा छात्रों के विरूद्ध दूसरे छात्र को डरा धमकाकर एफआईआर दर्ज करवा दी- राघवराज सिंह शक्तावत, एनएसयूआई नेता

Yogesh Porwal
Author: Yogesh Porwal

वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।

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