टकरावद (पंकज जैन)। मल्हारगढ़ ब्लॉक में जन-अभियान परिषद के तहत सामाजिक कार्यों और शासकीय योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए लाखों रुपये का बजट आवंटित होता है, लेकिन आरोप है कि यह राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। नवचेतन समितियों ने भट्ट दंपती पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद उज्जैन से आई एक जांच टीम ने पिपलिया मंडी में शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए। जांच के बाद ब्लॉक समन्वयक अर्चना भट्ट का तबादला जावद कर दिया गया, और धार जिले के उमरबन ब्लॉक से सुधीर तिवारी को मल्हारगढ़ का नया ब्लॉक समन्वयक नियुक्त किया गया।
भ्रष्टाचार के आरोप और जांच
नवचेतन समितियों ने मय प्रमाण भट्ट दंपती पर आरोप लगाए कि वे गांव-गांव में समितियां बनाकर उनसे वसूली करते हैं। सामाजिक कार्यों के नाम पर केवल फोटो खींचकर बिल लगाए जाते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं होता। शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए उज्जैन से आई जांच टीम ने पिपलिया मंडी में चार शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए। मध्यस्थता की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं बनने पर जांच आगे बढ़ी।

अर्चना भट्ट का तबादला, सुधीर तिवारी की नियुक्ति
जांच के बाद जन-अभियान परिषद ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ब्लॉक समन्वयक अर्चना भट्ट का तबादला जावद कर दिया। उनकी जगह धार जिले के उमरबन ब्लॉक से सुधीर तिवारी को मल्हारगढ़ का नया ब्लॉक समन्वयक नियुक्त किया गया है।
भट्ट दंपती पर सवालिया निशान
आरोप है कि भट्ट दंपती ने पिछले 15 वर्षों में पिपलिया मंडी में सामाजिक कार्यों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि दंपती के पास करीब 50 लाख रुपये का डबल मंजिल मकान, 20 लाख रुपये का जिम, और 40 लाख रुपये की अनुमानित कीमत के दो प्लॉट हैं। इसके अलावा, उनकी वीआईपी जीवनशैली भी सवालों के घेरे में है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सामाजिक कार्यों के नाम पर इतनी बड़ी संपत्ति अर्जित करना संदेहास्पद है।
क्या जन-अभियान परिषद जीतेगी विश्वास
शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि गांव-गांव में बनी समितियों की गहन जांच हो, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भ्रष्टाचार की गहराई कितनी है। सवाल उठ रहा है कि क्या जन-अभियान परिषद इस मामले में निष्पक्ष जांच कर भट्ट दंपती के कथित भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा पाएगी, या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह दब जाएगा। शिकायतकर्ताओं का कहना है, “पूरा कुआं भांग से भरा है,” और जांच से ही “दूध का दूध और पानी का पानी” हो पाएगा।
जांच टीम द्वारा दर्ज बयानों के आधार पर अब जन-अभियान परिषद और प्रशासन से अपेक्षा है कि वह इस मामले में पारदर्शी और कठोर कार्रवाई करे। शिकायतकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि जांच में ढिलाई बरती गई, तो वे इस मुद्दे को और बड़े स्तर पर उठाएंगे।
Author: Dashpur Disha
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