जावरा। रतलाम शहर में एक ऑटो चालक की सजगता और सूझबूझ ने एक सनसनीखेज मामले का पर्दाफाश किया। एक महिला, जो अस्पताल से नवजात बच्चों को चुराकर उन्हें बेचने का गोरखधंधा चला रही थी, पुलिस की गिरफ्त में आ गई। आरोपी महिला से पुलिस ने चार महीने के एक नवजात शिशु को बरामद किया है और उससे अन्य अपराधों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
घटना का विवरण
शनिवार (24 मई, 2025) सुबह 5 बजे जिला अस्पताल से पुलिस को सूचना मिली कि एक अज्ञात महिला ने अस्पताल में सो रहे परिजनों के पास से चार महीने के एक बच्चे को चुरा लिया। सूचना के आधार पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। जांच में पता चला कि उक्त महिला ऑटो में सवार होकर रेलवे स्टेशन की ओर गई थी।

ऑटो चालक बाबू खान को महिला के हावभाव पर संदेह हुआ। बाबू ने बताया कि जब महिला अस्पताल में गई थी, तब उसके पास कोई बच्चा नहीं था, लेकिन बाहर निकलते समय उसकी गोद में एक बच्चा था। बच्चे को देखकर बाबू को शक हुआ कि वह बच्चा उसका नहीं है और संभवतः चुराया गया है। बिना देर किए बाबू ने सूझबूझ दिखाते हुए अपना ऑटो सीधे जीआरपी थाने ले गया।
पुलिस की कार्रवाई
जीआरपी थाने पर बाबू खान ने पूरी घटना बताई। जीआरपी ने तुरंत स्टेशन रोड पुलिस से संपर्क किया और आरोपी महिला को उनके हवाले कर दिया। पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित अभिरक्षा में लिया और उसे परिजनों को सौंप दिया। परिजनों की शिकायत पर स्टेशन रोड पुलिस ने आरोपी महिला तरन्नुम बी (पति समीर अंसारी, उम्र 26 वर्ष, निवासी खजराना, इंदौर) के खिलाफ धारा 137(2) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया। महिला से बच्चा चोरी के मामले में पूछताछ जारी है।
आरोपी का आपराधिक इतिहास
पुलिस के अनुसार, तरन्नुम आपराधिक चरित्र की है और पहले भी एक बच्ची के साथ पकड़ी जा चुकी है। उस बच्ची को बाल कल्याण समिति के आदेश पर बालिका गृह में रखा गया है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष शंभू चौधरी ने बताया कि तरन्नुम ने कई बार बच्ची को लेने की कोशिश की, लेकिन समिति को संदेह होने के कारण उसे बच्ची नहीं सौंपी गई। चौधरी ने यह भी खुलासा किया कि तरन्नुम ने कई बार पति भी बदले हैं।
ऑटो चालक और पुलिस की सराहनीय भूमिका
इस मामले में ऑटो चालक बाबू खान की सजगता और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता ने एक मासूम की जिंदगी बचा ली। उनके साथ पुलिस निरीक्षक स्वराज डाबी, उपनिरीक्षक जितेंद्र कनेश, सहायक उपनिरीक्षक दुर्गा चारेल, आरक्षक प्रशांत, और आरक्षक लोकेन्द्र सोनी की भूमिका भी सराहनीय रही।
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि तरन्नुम का यह गोरखधंधा कितने समय से चल रहा था और इसमें अन्य लोग भी शामिल हैं या नहीं। यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
Author: Dashpur Disha
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