रावतपुरा सरकार, देवी अहिल्या विश्वविधालय के पूर्व चांसलर और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश भदौरिया का नाम घोटाले में शामिल
दशपुर दिशा । योगेश पोरवाल
मन्दसौर। मध्यप्रदेश की छवि पूरे देश में व्यापम घोटाले के बाद से बहुत प्रभावित हुई थी, इस घोटाले में प्रदेश के बेरोजगार युवकों के साथ हो रहे छलावे की पोल खोल दी थी।
व्यापम को लोग भूल पाते उससे पहले फिर से प्रदेश में बड़े पैमाने पर फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता का घोटाला सामने आ गया, जिसमें सीबीआई ने ही सीबीआई के अधिकारियों को फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालकों से रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। ये घोटाला भी पूरे देश में चर्चा का विषय बना।
अभी प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाले की आग ठंडी नहीं हुई, हाईकोर्ट अभी भी इस मामले में सुनवाई ही कर रहा है उससे पहले प्रदेश में मेडिकल कॉलेज घोटाला सामने आ गया। लोग नर्सिंग कॉलेज में उलझे रह गए और प्रदेश के शिक्षा माफिया मेडिकल कॉलेज तक में फर्जीवाड़े की जुगत बैठाने में सफल होते दिखाई दिए। ये मामला भी सीबीआई ने ही एक्सपोज किया है। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि प्रदेश में कितने मेडिकल फर्जी तरीके से पंजीकृत हुए है। सीबीआई जांच जारी है।
आपको बता दें केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मध्यप्रदेश नर्सिंग कॉलेज स्कैम से भी बड़े मेडिकल कॉलेज घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस सनसनीखेज मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, बिचौलियों और निजी मेडिकल कॉलेजों के बीच गहरे भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। सीबीआई ने 6 राज्यों में एक साथ छापेमारी कर 34 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के 8 अधिकारी, एनएमसी के 5 डॉक्टर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के चेयरमैन डी. पी. सिंह, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश भदौरिया जैसे अन्य बड़े नाम शामिल हैं। 8 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
सीबीआई के अनुसार, यह घोटाला रिश्वत के बदले मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने और नियमों में हेरफेर का है। आरोप है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने गोपनीय दस्तावेज और संवेदनशील जानकारी बिचौलियों के जरिए मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचाई। इसके बदले 3 से 4 करोड़ रुपये तक की रिश्वत ली गई। अधिकारियों ने एनएमसी के निरीक्षण की तारीखें और निरीक्षकों की जानकारी पहले ही कॉलेजों को दे दी, जिससे कॉलेज धोखाधड़ी की साजिश रच सके।
घोटाले में बड़े नाम उजागर
एफआईआर में शामिल प्रमुख व्यक्तियों में शामिल हैं: डी. पी. सिंह, चेयरमैन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मयूर रावल, रजिस्ट्रार, गीतांजलि यूनिवर्सिटी रवि शंकर जी महाराज, चेयरमैन, रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सुरेश सिंह भदौरिया चेयरमैन, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य मंत्रालय के 8 अधिकारी: पूनम मीना, धर्मवीर, पीयूष माल्याण, अनूप जैसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा, और चंदन कुमार
एनएमसी के 5 निरीक्षण दल के डॉक्टर और एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण का कर्मचारी
रिश्वत का खेल सीबीआई ने पाया कि रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नया रायपुर को फायदा पहुंचाने के लिए एनएमसी के तीन डॉक्टरों ने 55 लाख रुपये की रिश्वत ली। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने गोपनीय फाइलों की तस्वीरें खींचकर और वरिष्ठ अधिकारियों की टिप्पणियां बिचौलियों तक पहुंचाईं, जिससे मेडिकल कॉलेज नियमों को तोड़-मरोड़ कर अपनी स्थिति मजबूत कर सके।
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने 6 राज्यों में एक साथ छापेमारी कर इस घोटाले के सबूत जुटाए। 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें एनएमसी के तीन डॉक्टर शामिल हैं। जांच एजेंसी ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज किया है और आगे की जांच जारी है।
Author: Yogesh Porwal
वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।









