दशपुर दिशा । योगेश पोरवाल
मन्दसौर। राजस्थान,मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की प्राइवेट यूनिवर्सिटियों में फर्जी डिग्रियों का गोरखधंधा उजागर हुआ है। गत दिवस राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने चित्तौड़गढ़ के गंगरार स्थित मेवाड़ यूनिवर्सिटी पर अचानक छापा मारा और कई गंभीर अनियमितताएं सामने लाए। मध्यप्रदेश के सीहोर की श्री सत्यसाईं यूनिवर्सिटी की डिग्रियां भी फर्जी साबित हुई हैं। इसके अलावा, उत्तरप्रदेश के शिकोहाबाद की जेएस यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों से राजस्थान में 202 पीटीआई (शारीरिक प्रशिक्षक) नौकरी पाने का मामला भी चर्चा में है। यह खुलासा शिक्षा व्यवस्था की खामियों और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ को रेखांकित करता है।
मेवाड़ यूनिवर्सिटी में मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा बिना पूर्व सूचना के पहुंचे। उन्होंने कृषि अधिकारियों की टीम के साथ सीधे कृषि संकाय में प्रवेश किया और जांच शुरू करवाई। जांच के दौरान बीकानेर निवासी स्वतंत्र कुमार विश्नोई का मामला सामने आया, जो 12वीं तक कॉमर्स का छात्र था। उसे बिना प्रवेश और बिना पढ़ाई के 50 हजार रुपये लेकर एक साल का कृषि डिप्लोमा एक ही दिन में दे दिया गया। स्वतंत्र ने 11 मई को परीक्षा दी और उसी दिन डिग्री हासिल कर ली। उसकी कॉपी में बिना परीक्षक के हस्ताक्षर 66 नंबर दिए गए थे। मंत्री ने बीएससी हॉर्टिकल्चर की एक खाली कॉपी भी दिखाई, जिसमें 11 नंबर दिए गए थे। इस दौरान लगभग 300 कॉपियां जब्त की गईं, जांच कक्ष को सील कर दिया गया और पुलिस में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए।
स्वतंत्र कुमार ने मीडिया के सामने खुलासा किया कि उसने दलाल कृष्णकुमार को 50 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए। बिना प्रवेश पत्र के उसे 11 मई को परीक्षा के लिए बुलाया गया। सवालों के जवाब नहीं आने पर उसने जो याद आया, लिख दिया। डिप्लोमा लेने के लिए उसे यूनिवर्सिटी भी नहीं जाना पड़ा, यह घर पर पहुंचा दिया गया। स्वतंत्र ने बताया कि पहले उसने सोचा था कि डिप्लोमा लेकर वह 40-50 हजार रुपये में लाइसेंस किराए पर देगा, लेकिन जब उसे पता चला कि डिग्री को कहीं मान्यता नहीं है, तो उसने कृषि मंत्री को सूचित किया। मंत्री ने इस कार्रवाई को स्टिंग ऑपरेशन की तरह अंजाम दिया और रिकॉर्ड के साथ गड़बड़ियां उजागर कीं। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में टीचिंग व्यवस्था अपूर्ण है। कुछ प्रोफेसरों की पीएचडी बाद में हुई, लेकिन वे पहले से पढ़ा रहे थे। कई शपथ पत्रों में लिखवाया गया कि डिग्रियों को भविष्य में आईसीआर या यूजीसी से मान्यता मिल जाएगी।

मेवाड़ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. सीडी कुमावत ने दावा किया कि वे नियमों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र की ऑनलाइन कक्षाओं की वीडियो मौजूद है और अन्य राज्यों के छात्रों को बिना जेट के प्रवेश देने का नियम है। उन्होंने जांच की चुनौती देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी ने कोई नियम नहीं तोड़ा।
इसी बीच, मध्यप्रदेश के सीहोर की श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी की डिग्रियां भी फर्जी पाई गई हैं। इन डिग्रियों के आधार पर कई अभ्यर्थियों ने नौकरियां हासिल की हैं। राजस्थान में पीटीआई भर्ती 2022 का मामला भी सुर्खियों में है, जहां विशेष संचालन समूह (एसओजी) की जांच में 18 यूनिवर्सिटियों की फर्जी डिग्रियां सामने आईं। इनमें सबसे ज्यादा जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद की डिग्रियां थीं। इस यूनिवर्सिटी ने चार सत्रों में 400 की बजाय 2082 डिग्रियां जारी कीं। जालोर में 22 पीटीआई में से 10 को सस्पेंड या बर्खास्त किया जा चुका है। शनिवार को 165 पीटीआई पर केस दर्ज हुआ, जिसमें जालोर के 14 शामिल थे। पूर्व में 37 अन्य पर केस दर्ज हुए, जिनमें जालोर के 8 शामिल थे।
उदाहरण के लिए, जालोर के सुरेश विश्नोई ने जेएस यूनिवर्सिटी से 2021 की बीपीएड डिग्री बताई और डमी अभ्यर्थी से परीक्षा दिलाई। उसे गिरफ्तार कर सस्पेंड किया गया। परमेश्वरी विश्नोई ने 2022 की डिग्री को डिप्लोमा बताया और बर्खास्त हुई। सुरेशकुमार ने 2022 की डिग्री से नौकरी पाई, लेकिन गड़बड़ी सामने आने पर उसे भी बर्खास्त कर दिया गया। चुरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी और श्री सत्यसाईं यूनिवर्सिटी की डिग्रियां भी फर्जी पाई गई हैं। कई अभ्यर्थियों ने डमी बिठाकर नौकरियां हासिल कीं।
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि यह सिर्फ डिग्री देने का मामला नहीं, बल्कि संगठित धोखाधड़ी है। उन्होंने हर स्तर पर जांच का आश्वासन दिया और दोषियों को बख्शे न जाने की बात कही। मेवाड़ यूनिवर्सिटी की विस्तृत जांच शुरू हो चुकी है। फर्जी डिग्रियों से नौकरी पाने वालों के खिलाफ एसओजी की कार्रवाई तेज कर दी गई है। अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटियों की डिग्रियों की भी जांच के आदेश दिए गए हैं। यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को भी उजागर करता है।
Author: Yogesh Porwal
वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।








