कथनी और करनी में अंतर व अहंकार आप पार्टी व केजरीवाल की हार का बना कारण

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

दशपुर दिशा । अनिल नाहर

भानपुरा। 8 फरवरी को आए दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम एक बार फिर यह साबित करता है कि अति अहंकार अपने विश्वसनीय साथियों कि उपेक्षा और कथनी और करनी में अंतर जीवन में हार व पतन के कारण बनेंगे। लगातार तीन बार से दिल्ली कि सत्ता पर काबिज आप पार्टी व उनके मुखिया अरविंद केजरीवाल को इस बात का अंहकार हो गया था कि में जो कर रहा हूं वह सही है और मैं कभी हार ही नहीं सकता। यह वह कई बार सार्वजनिक रूप से सभाओं में कहते रहे की 2050 तक मुझे व मेरी पार्टी को सत्ता से कोई नहीं हटा सकता और यही अहंकार उनके पतन का कारण बना। कथनी में यह की हम बिल्कुल सादगी का जीवन जीते हैं, भ्रष्टाचार मुक्त शासन देंगे पर जिस तरह से उन्होंने और उनकी सरकार ने केवल निजी हितों के लिए जिस तरह प्रजातंत्र का मज़ाक़ बनाया साथ ही मुख्यमंत्री के निवास स्थान को राजशाही महल जैसा बनाया जिस पर करोड़ों रुपए फूंक डाले,शराब नीति जिस तरह बनाई और साथ ही जो नेता व साथी जिनके सहयोग ओर मेहनत से केजरीवाल उच्च पायदान पर पहुंचे उनके साथ केजरीवाल ने सत्ता के अहंकार में जो व्यवहार किया और उनकी जगह रसूखदार व जनाधार विहीन नेताओं को आगे किया वह भी उनकी इस करारी हार के कारण बने। बीते 11 सालों में दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त न करा पाना, यमुना को गंदे नालों से मुक्त न करना और झूठे आरोप पड़ोसी राज्यों पर लगाना उनकी इस हार के कारण बने उन्होंने अपनी अति महात्वाकांक्षा से अपने गुरु अन्ना हजारे जिनके कन्धों पर चढ़कर सिंहासन पर बेठे कभी उनसे मिलना तो दूर बात करना उनकी सलाह मानना तक उचित नहीं समझा जिस सीढ़ी पर चढ़कर वह सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे केजरीवाल को यह गुमान हो गया कि सब मेरे कारण हुआ बस इसी अहंकार ने उन्हें मुख्यमंत्री तो क्या विधायक बनने लायक भी नहीं छोड़ा। केजरीवाल को यह विश्वास था कि दिल्ली कि जनता को जो में फ्री पानी, बिजली और सुविधाएं दे रहा हूँ उससे मुझे ही मतदाता चुनेंगे, यह तो सही है कि आज भारत में किसी सरकार के रहने और जीतने में इन फ्री के वितरण का महत्व तो है पर इसके साथ ही भ्रष्टाचार, सुरक्षा, स्वच्छता भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहते है। केजरीवाल इन सबको भूल गए केवल और केवल अपनी अति महात्वाकांक्षा, अहंकार और दिन रात नरेंद्र मोदी व केन्द्र सरकार पर आधारहीन आरोप लगाना उनकी महात्वाकांक्षी राजनैतिक पारी का अंत कर गया। दूसरी तरफ भाजपा ने लगातार 27 सालों से दिल्ली में हो रही हार से सबक लिया और अपने साफ सुथरे निष्ठावान चेहरों को मौका दिया जिससे यह जीत हासिल हुई जीत के बाद भाजपा हाईकमान को मतदाताओं कि व हजारों कार्यकर्ताओं कि भावनाओं के अनुरूप मुख्यमंत्री बनाना चाहिए नहीं कि किसी अपने जनाधिकार विहीन थोपे हुए नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए भाजपा के यह प्रयोग जो अन्य राज्यों में किए उनके परिणाम अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं 27 साल के निर्वासन को भाजपा को भूलना नहीं चाहिए और मतदाताओं ने जो विश्वास जताया है उस पर खरा उतरना चाहिए और साथ ही कांग्रेस पार्टी जो लगातार हार का कीर्तिमान स्थापित कर रही है मंथन करें। प्रजातंत्र में सरकार के साथ ही मजबूत प्रभावशाली विपक्ष भी चाहिए जो समय समय पर सरकार के गलत कामों का प्रभावी विरोध कर सकेज़ आज विपक्ष आपस में ही एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रहा है जो न विपक्ष और न देशहित में है भले ही दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है यहां कि सरकार को कोई विशेष अधिकार नहीं है पर फिर भी भारत कि राजधानी दिल्ली कि सत्ता पर भाजपा जो 11 सालों से केन्द्र में सत्ता में रहने के बाद भी सत्ता से दूर थी दिल्ली कि सत्ता पर काबिज होना भाजपा के लिए बहुत बड़ी जीत है आखिर में यही कहा जा सकता है अहंकार आज तक किसी का नहीं रहा और यह आप पार्टी ओर उसके वन मेन शो अरविंद केजरीवाल कि करारी हार से साबित हो गया यह सबके लिए सबक है इससे प्रेरणा लेकर सब दल व नेता आगे बढ़े और जीत को सहजता से स्वीकार करें ओर हार पर मंथन करें ।

Dashpur Disha
Author: Dashpur Disha

दशपुर दिशा समाचार पत्र भारत के प्रेस महापंजीयक कार्यालय नई दिल्ली से पंजीकृत है। दशपुर दिशा मालवांचल में खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित समाचार पत्र है। www. dashpurdisha.com हमारी अधिकृत वेबसाइट है।

Leave a Comment

और पढ़ें

error: Content is protected !!