किसानों के लिए सिर दर्द था अलसी का डंठल, अब हो रही है आय

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अलसी के डंठल से कर रहे हैं रेशा उत्पादन,15 से 20 लोगों को दे रहे हैं रोजगार
मंदसौर। दलौदा गांव कसाखेड़ी के रहने वाले डॉ राकेश पाटीदार वर्तमान में मंदसौर एग्रो इंडस्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ हैं। बचपन से ही इनके अंदर किसानों की समस्याओं का कैसे समाधान हो सकता है। उसको दूर करने का सपना देखा था। समाचार पत्रों में किसानों की जो समस्याएं प्रकाशित होती है। उस कटिंग्स को ये काटकर भी रखते हैं। लगभग 7-8 वर्षों का इनके पास रिकॉर्ड है। किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए इन्होंने कृषि के क्षेत्र में ही पढ़ाई कि। इन्होंने एसएआईटी विदिशा से मैकेनिक में बीई किया और आगे जाकर जबलपुर से कृषि क्षेत्र में पीएचडी भी की।
इन्होंने पढ़ाई के पश्चात जावरा, सीकर, एमआईटी जैसे संस्थानों में बच्चों को भी पढ़ाया। लेकिन आखिर इनका सपना किसानों की समस्याओं को दूर करने का था। इसलिए उन्होंने पढ़ाई छोड़कर मंदसौर एग्रो इंडस्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड एफपीओ का निर्माण किया।
एफपीओ के माध्यम से 35 गांव के किसान इनसे जुड़े हुए हैं। ये अब तक 5 हजार किसानों को जानकारियां एवं प्रेरित कर चुके हैं। एफपीओ के माध्यम से किसानों को खाद, बीज, दवाई भी उपलब्ध कराते हैं। किसान डॉ राकेश पाटीदार कृषि के क्षेत्र में नवाचार करते हुए उन्होंने अलसी के डंठल से रेशा उत्पादन का काम किया है।
सामान्य तौर पर किसान अलसी के डंठल को खेत में ही जला देते हैं। डंठल किसी काम में नहीं आते थे। इनको ना तो पशु खाता, नहीं किसी काम में आता था। लेकिन डॉ पाटीदार ने इसको उचित प्लेटफॉर्म देकर इसको मूल्यवान बना दिया है। इसके लिए ये किसानों को प्रेरित भी कर रहे हैं। रेशा उत्पादन के संबंध में प्रशिक्षण के लिए ये कृषि महाविद्यालय बेमेसरा छत्तीसगढ़ गए। जहां से इन्होंने शोध कार्य को समझा और उसको मंदसौर जिले में लाकर मूर्त रूप प्रदान किया।
इनका कहना है कि अलसी के डंठल से जो कपड़ा बनता है वह लिलन के कपड़े से भी बेहतर क्वालिटी का कपड़ा बनेगा। अलसी से जो रेशा बनता है वह धागा बहुत मजबूत होता है और मूल्यवान भी होता है। भारत की कई कंपनियों में इस पर ट्रायल चल रहा है। कपड़ा उद्योग में भी इसकी बहुत अधिक डिमांड है। अभी वर्तमान में यह अलसी के डंठल इकट्ठे करके गुजरात की किसी कंपनी को भेज रहे हैं। अगले वर्ष से ये स्वयं रेशा उत्पादन का काम शुरू करेंगे। इस कार्य में इनको कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र से बहुत सहयोग मिला। इसके माध्यम से ये 15 से 20 लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं साथ ही कृषि के क्षेत्र रुचि रखने वाले अधिक से अधिक युवाओं को ये रोजगार दे सकते है। इनका कहना है कि आगे भविष्य में हम 50 लोगों को रोजगार प्रदान करेंगे।
अब तक ये आसपास के 10 गांव के किसानों से लगभग 40 हैकटेयर का अलसी डंठल एकत्रित कर चुके हैं तथा गुजरात कंपनी को भेज चुके हैं। ये किसानों को डंठल का प्रति किलो उचित मूल्य भी प्रदान कर रहे हैं। जिससे किसान खुश है। किसान भी इस कार्य में रुचि ले रहा है और लगभग 500 हैकटेयर का डंठल इनको देने के लिए किसान तैयार है।
लेकिन अगले वर्ष से अब स्वयं ही रेशा का उत्पादन करेंगे। क्योंकि इस वर्ष इनके पास समय कम था। इसलिए ये स्वयं रेशा का उत्पादन नहीं कर सके। इस कार्य के लिए आधुनिक मशीन, टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होती है। संसाधन जुटाने के लिए इनको एक वर्ष का समय और लगेगा। लेकिन आगामी वर्ष से अब यह डंठल कहीं बाहर नहीं भेजेंगे और स्वयं रेशा उत्पादन करेंगे। डॉ पाटीदार कहते है कि, हमारा जो एफपीओ है इसको मालवा का सबसे आदर्श एफपीओ बनाएंगे। अमूल की तरह मंदसौर एग्रो इंडस्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को भी एक आदर्श रूप प्रदान करेंगे।

Dashpur Disha
Author: Dashpur Disha

दशपुर दिशा समाचार पत्र भारत के प्रेस महापंजीयक कार्यालय नई दिल्ली से पंजीकृत है। दशपुर दिशा मालवांचल में खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित समाचार पत्र है। www. dashpurdisha.com हमारी अधिकृत वेबसाइट है।

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