नागदा में दूषित पेयजल का मुद्दा: जनसुनवाई में अभिभाषक संघ की फटकार, सीएमओ प्रेम कुमार सुमन की खामोशी

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नागदा। उज्जैन जिले के नागदा शहर में मंगलवार को आयोजित जनसुनवाई में दूषित पेयजल का मुद्दा गरमाया। आर्थिक रूप से सक्षम और राष्ट्रपति से पुरस्कृत नगरपालिका के इस शहर में पिछले पांच दिनों से दूषित पानी की आपूर्ति ने जनता को आक्रोशित कर दिया। इस मुद्दे को अभिभाषक संघ ने जोरदार तरीके से उठाया, जिससे जनसुनवाई में सन्नाटा छा गया।

जनसुनवाई में अभिभाषक संघ का हंगामा
अभिभाषक संघ के अध्यक्ष विजय वर्मा अपनी टीम के साथ जनसुनवाई में पहुंचे और दूषित पानी से भरी बोतलें एसडीएम रंजना पाटीदार के सामने रख दीं। उन्होंने शहर के मुख्य नगरपालिका अधिकारी प्रेमकुमार सुमन को यह पानी पीने की चुनौती दी। वर्मा ने तीखे शब्दों में कहा, “हमारी जनता को यह जहरीला पानी पिलाया जा रहा है, लेकिन सीएमओ और जनप्रतिनिधि खुद मिनरल वाटर पीते हैं।” इस सवाल पर सीएमओ खामोश रहे और पानी पीने से इनकार कर दिया। जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों के चेहरों पर सन्नाटा छा गया।

वर्मा ने चेतावनी दी कि आगामी 13 सितंबर को होने वाली लोक अदालत में नगरपालिका की टैक्स वसूली टेबल को नहीं लगने दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि जनता टैक्स देती है, लेकिन बदले में उसे जहरीला पानी मिलता है। साथ ही, उन्होंने सीएमओ पर जनता के फोन न उठाने का भी आरोप लगाया।

जनस्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़
विजय वर्मा ने जनसुनवाई में दूषित पानी को जनस्वास्थ्य के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा, “यह पानी लोगों को बीमार कर रहा है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।” उन्होंने मंडी क्षेत्र और बिरला ग्राम के दूषित पानी की दो बोतलें पेश कीं, जिसके बाद जनसुनवाई के बाहर नारेबाजी भी हुई। वर्मा ने अपनी बात को मुहावरों के साथ प्रभावी ढंग से रखा, जिसने सभी का ध्यान खींचा।

नगरपालिका पर सवाल, हजारों रुपए का मिनरल वाटर बिल
सूत्रों के अनुसार, नगरपालिका कार्यालय में जनप्रतिनिधि और अधिकारी मिनरल वाटर का उपयोग करते हैं, जिसका हजारों रुपये का बिल जनता की जेब से चुकाया जाता है। यह विडंबना है कि जो व्यवस्था जनता को दूषित पानी दे रही है, उसी पर जिम्मेदारों को भरोसा नहीं है।

सीएम का गृह जिला लेकिन स्वच्छ पेयजल तक उपलब्ध नहीं
नागदा शहर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिले से जुड़ा है। यह पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान कर्नाटक के राज्यपाल डॉ. थावरचंद गेहलोत, भाजपा जिला अध्यक्ष (उज्जैन ग्रामीण) राजेश धाकड़, विधायक डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान, जलकार्य समिति प्रभारी प्रकाश जैन, और अन्य प्रमुख नेताओं का गृह नगर है। फिर भी, इस शहर में बुनियादी सुविधा जैसे स्वच्छ पेयजल तक उपलब्ध नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार की खबर से हलचल
इस मुद्दे को नागदा के वरिष्ठ पत्रकार कैलाश सनोलिया ने भोपाल और दिल्ली तक पहुंचाया। उनकी खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिसके बाद जनता का गुस्सा और बढ़ा। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस के पार्षद और जलकार्य समिति प्रभारी प्रकाश जैन को सोशल मीडिया पर सफाई देनी पड़ी।

नागदा में दूषित पेयजल का मुद्दा अब जनआंदोलन का रूप ले रहा है। अभिभाषक संघ की इस पहल ने नगरपालिका और प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। जनता अब स्वच्छ पानी और जवाबदेही की मांग कर रही है। यह देखना होगा कि प्रशासन इस संकट का समाधान कैसे करता है।

Yogesh Porwal
Author: Yogesh Porwal

वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।

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