प्रदेश में 135 कॉलेज चल रहे थे बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया की मान्यता के बिना, हाईकोर्ट के निर्देश पर केस दर्ज करने की तैयारी

✍️दशपुर दिशा । योगेश पोरवाल
प्रदेश में शिक्षा के नाम पर एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। लगभग 4 साल से चल रहे हैं मध्यप्रदेश में व्यापम के बाद सबसे बड़े नर्सिंग कॉलेज घोटाले में कई कॉलेज फर्जी तरीके संचालित करने पाए गए है। इस मामले में इतनी गहन जांच हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई थी, ठीक इसी तरह प्रदेश में पैरामेडिकल कॉलेजो में स्कॉलरशिप और मान्यता फर्जीवाड़ा पिछले वर्षों में सामने आया। इसके बाद कागजों में चल रहे बोगस बीएड कॉलेजों का फर्जीवाड़ा सामने आया जिसकी जांच अभी चल ही रही है इतने में एक नया लॉ कॉलेजों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया। हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए बिना बार काउंसिल की मान्यता के चल रहे लॉ कॉलेजों पर एफआईआर के आदेश दिए है। मध्यप्रदेश में एक के बाद एक कॉलेज फर्जीवाड़े और बोगस, बिना मान्यता के चल रहे कॉलेजों का खुलासा हो रहा है जिससे स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश का भविष्य फर्जीवाड़े की जद में है।
मन्दसौर। बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया कि बगैर मान्यता के चल रहे लॉ कॉलेजो पर एफआईआर होगी। प्रदेश में से 135 संस्थान बताया जा रहे हैं सबसे पहले जबलपुर के सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टिट्यूट पर एफआईआर की तैयारी है। 2019 में बीसीआई से मान्यता समाप्त हो चुकी है फिर भी छात्रों को लगातार प्रवेश दिया जा रहा है। संस्थान के खिलाफ हुई जांच में तथ्य सामना आए हैं। यह कार्रवाई जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही है। 11 मार्च को हाईकोर्ट ने ऐसे लॉ कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था जो बगैर मान्यता एलएलबी, एलएलएम में प्रवेश दे रहे थे। इसकी जांच भोपाल पुलिस कमिश्नर हरीनारायणचारी मिश्र को दी गई है। 25 मार्च को हाईकोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश करना है इस जांच के बारे में बार काउंसिल आफ इंडिया के अधिकारियों को जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया है।
छात्रों को रजिस्ट्रेशन में आ रही परेशानी
जबलपुर के छात्रों ने याचिका दायर कर बताया था कि उन्होंने सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट जबलपुर से एलएलबी पढ़ाई पूरी की है। जब उन्होंने मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल में पंजीयन के लिए आवेदन दिया तो उन्हें मना कर दिया गया, कारण बताया कि बीसीसीआई से मान्यता समाप्त हो चुकी है। पता चला कि संस्थान ने बीसीआई के पास नवीनीकरण शुल्क जमा नहीं किया था।
हाईकोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए
किसी कॉलेज की मान्यता समाप्त होने का प्रभाव छात्रों पर नहीं पढ़ना चाहिए। धोखाधड़ी करने वाले संस्थानों पर बीसीआई उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त न होने पर शैक्षणिक संस्थान और विश्वविद्यालय को पोर्टल पर इसका स्पष्ट उल्लेख करना होगा। संस्थाओं को साफ करना होगा कि वह केवल शैक्षिक प्रयोजन के लिए ही विधि पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। बीसीसीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी संस्थान छात्रों का करियर के साथ खिलवाड़ ना कर सके।
सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट का मामला
जबलपुर के व्योम गर्ग,शिखा पटेल ने सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट जबलपुर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद कानून के छात्र को प्रैक्टिस करने के लिए स्टेट बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। जब यह छात्र स्टेट बार काउंसिल पहुंचे तो इनका रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया गया। स्टेट बैंक काउंसिल का कहना है “सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट की मान्यता समाप्त हो गई है। काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट को दोबारा मान्यता नहीं दी, क्योंकि इन्होंने नवीनीकरण फीस जमा नहीं की थी। इसलिए इन छात्रों की वकालत की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं मिल सकेगा।”

Author: Yogesh Porwal
वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।