अनूठा एग्रीमेंट – पहली बार मजदूरों की अभिव्यक्ति पर पाबंदी
✍️कैलाश सनोलिया, नागदा
नागदा। भारतीय संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों की हिफाजत के लिए बोलने और अभिव्यक्त करने की आजादी तो मिली हुई है, लेकिन देश के जाने-माने बिड़ला घराना के उज्जैन जिले में स्थित ग्रेसिम उद्योग में इस अधिकार पर पाबंदी लगाने का एक अनूठा मामला सामने आया है। ग्रेसिम उद्योग का कोई भी श्रमिक अब सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक एवं प्रिट मीडिया में ग्रेसिम संस्थान से संबधित खबर को प्रसारित करेगा तो इस कृत्य को गंभीर दुराचरण माना जाएगा। तथा संबधित श्रमिक पर प्रबंधन अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगा। इतना ही नहीं किसी मजदूर ने किसी श्रम संगठन के प्रति नकारात्मक टिप्पणी सोशल मीडिया पर भी लिखी तो भी वह गुनाहगार होगा। संबधित पर ग्रेसिम प्रबंधन कार्यवाही कर सकेगा।
इस प्रकार के बंधन का एक अनूठा एग्रीमेंट श्रमायुक्त कार्यालय इंदौर में पहली बार ग्रेसिम प्रबंधन एवं श्रमिको के अधिकारों की हिफाजत की पैरवी करने वाले पांच ट्रेड यूनियनेों के बीच हुआ है। यह अनुबंध एडिशनल लेबर कमिश्नर प्रभात दुबे की मध्यस्थता एवं हस्ताक्षर से हुआ । इस एगीमेंट के अनुछेद-1 के बिदु कमांक 14 को इस प्रकार से परिभाषित किया गया है-ऐसे माध्यम जो सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, एवं प्रिट मीडिया के अंर्तगत आते है, उन पर कोई भी श्रमिक संस्थान से संबधित असत्य जानकारी, भ्रामक प्रचार, या उद्योग को हानि पहुॅचाने वाला या व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला समाचार, पोस्ट या वीडियों डालेगा या समाचार भेजेगा तथा प्रचार -प्रसार करेगा और श्रम संगठन के बारे में भ्रामक जानकारी देगा या प्रचार करते पाए जाने पर इसे गंभीर दुराचरण माना जाएगा तथा उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगीं।
इस प्रकार का एंगीमेंट ग्रेसिम के श्रमिकों के पॉच वर्षीय वेतन वद्धि के समझोते के साथ हुआ। वेतनवृद्धि के इस समझौते की आड़ में इस प्रकार से श्रमिकों की अभिव्यक्ति पर हथकडिया डालने का यह अनुबंध किसी भी श्रम संगठन ने आज तक किसी मीडियां का उपलब्ध नही ंकराया। जब अनुबंध हुआ उस समय इस प्रकार के अंश को हटाकर मात्र वेतन बढोतरी की बाते उजागर की गई। मीडिया के प्रयासों के बाद भी श्रमसंगठनों ने इसकी प्रमाणित प्रति उपलब्ध नहीं कराई। यह अनुबंध गत 8 अक्टूबर 2024 को इंदौर में श्रमायुक्त कार्यालय में सपांदित हुआ। श्रम कानून के मुताबिक इस प्रकार के पाचं वर्षीय वेतन बढोतरी अनुबंध की प्रति सार्वजनिक करने का वैधानिक प्रावधान भी है। लेकिन आज तक प्रेस में सामने नही आया और ना सार्वजनिक चस्पा हुआ। आखिर इस एग्रीमेंट की प्रमाणित प्रति इस संवाददाता के हाथ लगी है। जिसकी प्रमाणित प्रति सुरक्षित है। जैसा की इस अनुबंध में परिभाषित किया गया है कि कोई श्रमिक असत्य एवं भ्रामक समाचार प्रसारित करेगा तो कार्यवाही होगी वहां तक तो सही लेकिन उद्योग से जुड़ी किसी घटना – दुर्घटना, श्रम कानून का उल्लंधन, प्रबंधन की खामिया, लापरवाही को उजागर करना भी ग्रेसिम प्रबंधन को नागवार गुजरेगा। अब गंभीर दुराचरण में माना जाएगा। यहां तक किसी घटना का वीडियों सार्वजनिक करने पर तथा श्रमसंगठनों कें कार्य की समीक्षा करने का अधिकार भी मजदूरों से छिन लिया गया है।
अन्य यूनिट में होगा ट्रांसफर- इस अनुबंध में बड़ी एवं चौकाने वाली बात यह भी सामने आई हैकि ग्रेसिम उद्योग नागदा में कार्यरत श्रमिक को इस समूह की अन्य इकाइयों में भी स्थानातरित किया जा सकेगा। गौरतलब है कि ग्रेसिम की अन्य यूनिट मप्र से भी बाहर है।
नई भर्ती पर रोक- श्रमसगठनों ने इस अनुबंध में अब ग्रेसिम संस्थान नागदा मे नई भर्ती पर रोक लगाने के लिए प्रबंधक की मंशा पर मुहर लगा दी हे। एगीमेंट के अनुच्छेद-2 के बिंदु क्रमांक 2.3 में शर्त हैकि समझौता दिनांक तक जो श्रमिक नियोजित है या दिनांक 31 दिसंबर 2024 तक नियोजित किए जांएगे एसओ से एसफाईव तथा पुरानी ग्रेड डी से एवन में दिनांक 31 दिसंबर 2024 के पश्चात किसी भी श्रमिक-़/ कर्मचारी की भर्ती/ नियुक्ति नहीं की जासकेगी।
इनके हस्ताक्षर- अनुबंध पर बतौर प्रथम पक्ष प्रतिनिधि ग्रेसिम अधिकारियों के हस्ताक्षर इस प्रकार है- इकाई प्रमुख शांतुन कुलकणी, उपाध्यक्ष( मासप्र) सुधीर कुमार सिंह, सहायक उपाध्यक्ष (ईआरए एवं आईआर) विनोद कुमार मिश्रा, सहायक उपाध्यक्ष (वित्त) मनीष जैन, प्रबंधक( आईआर) सुश्री वेदेही कापदेव, प्रबंधक (वेतन प्रबंधन) अखिलेश पांडे प्रबंधक (आईआर) डॉ सुर्रेद मीणा के नाम उल्लेखित है। इसी प्रकार से श्रम संगठनों के पदाधिकारियों में ग्रेसिम मजदूर कांग्रेस( इंटक)- जागेश्वर शर्मा, गुरूदत्त्त उपाध्याय, सुजानसिंह ठाकुर, बीएमएस चौहान भारतीय मजदूर संघ – जोधसिंह राठौड़, अशोक गुर्जर, हिमांशु राणावत , रविन्द्र सिंह नरूका, केमिकल कर्मचारी संघ- जगमालसिंह राठौड, राजेंद्र अवाना, अशोक शर्मा, राजेंद्रसिंह राठौड़ ग्रेसिम मजदूर यूनियन (एटक)- हदय चंद, दिलीप पाचाल, सोमदेव पाल एवं मदन जाट के हस्ताक्षर है।

Author: Dashpur Disha
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