देवास। मध्यप्रदेश के देवास जिले में वन विभाग की कार्रवाई ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। भारी बारिश के बीच खिवनी अभ्यारण्य से सटे जंगल में बसे 80 आदिवासी परिवारों की झोपड़ियों को बुलडोजर से ढहा दिया गया। इस कार्रवाई के बाद प्रशासन द्वारा प्रभावित परिवारों को 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की पेशकश ने मामला और गरमा दिया। इस दौरान एक आदिवासी महिला ने अपर कलेक्टर बिहारी सिंह को जमकर खरी-खोटी सुनाई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हो रहा है।
झोपड़ियां तोड़ने के बाद प्रशासन की पेशकश
देवास जिला प्रशासन ने भारी बारिश के बीच प्रभावित आदिवासी परिवारों के पास पहुंचकर उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था और प्रत्येक परिवार को 20 हजार रुपये की तात्कालिक आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया। साथ ही, छह महीने का अतिरिक्त राशन और पंचायत के माध्यम से गरम भोजन उपलब्ध कराने की बात कही गई। हालांकि, इस पेशकश को लेकर आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया।

आदिवासी महिला ने ADM को लिया आड़े हाथ
27 जून को आदिवासी समाज ने इस कार्रवाई के खिलाफ महाआंदोलन किया। इस दौरान एक महिला ने ADM बिहारी सिंह से सवाल किया, “सर, आपकी सैलरी कितनी है?” जवाब में ADM ने मुद्दे की बात करने को कहा। इस पर महिला ने गुस्से में कहा, “आप 1 लाख रुपये सैलरी कमा रहे हैं और हमें 20 हजार रुपये दे रहे हैं? शर्म आनी चाहिए! हम आपको 20 हजार रुपये और 12 महीने का राशन देंगे।” महिला के इस आक्रामक तेवर ने वहां मौजूद लोगों का ध्यान खींचा, और जनता ने उनकी हिम्मत की सराहना करते हुए तालियां बजाईं। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए।
क्या है पूरा मामला
खिवनी अभ्यारण्य के पास जंगल में बसे आदिवासी परिवारों पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर वन विभाग ने बुलडोजर चलाया। कई परिवारों के आशियाने धराशायी कर दिए गए। कुछ लोगों को अपना जरूरी सामान निकालने का मौका मिला, लेकिन कई परिवारों की झोपड़ियां बिना सामान निकाले ही तोड़ दी गईं। इस दौरान एक बच्ची का अपने टूटते घर को देखकर रोना-बिलखना दिल दहला देने वाला था। बिना नोटिस और वैकल्पिक व्यवस्था के की गई इस कार्रवाई ने प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया।
आदिवासी समाज का आक्रोश
आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई को अमानवीय और संविधान के खिलाफ बताया। सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स में इसे आदिवासियों के हक और अस्मिता पर हमला करार दिया गया। एक पोस्ट में कहा गया,”यह सिर्फ ज़मीन की लूट नहीं, बल्कि आदिवासियों की अस्मिता और परंपरा पर हमला है।” संगठनों ने मांग की है कि प्रभावित परिवारों को तत्काल पुनर्वास और उचित मुआवजा दिया जाए।
प्रशासन का पक्ष
इस मामले में प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अतिक्रमण हटाने के लिए की गई थी। एडीएम ने ग्रामीणों से शांतिपूर्ण बातचीत की और तात्कालिक सहायता के रूप में 20 हजार रुपये और राशन की व्यवस्था की बात कही। हालांकि, प्रभावित परिवारों का कहना है कि बिना पूर्व सूचना और पुनर्वास की व्यवस्था के यह कार्रवाई उनकी जिंदगी को उजाड़ने वाली है।
इस घटना ने मध्य प्रदेश में आदिवासी अधिकारों और प्रशासनिक कार्रवाइयों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सामाजिक संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। यह मामला न केवल प्रशासनिक संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि आदिवासी समुदाय के साथ न्याय और पुनर्वास की मांग को और मजबूत करता है।
Author: Dashpur Disha
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