गरोठ में अवैध कॉलोनियों को बचाने का खेल : SDM चंदर सिंह सौलंकी ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र के साथ पेश किया झूठा जवाब

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दशपुर दिशा । योगेश पोरवाल
गरोठ। गरोठ की सिद्धालय और माधव रेसीडेंसी अवैध कॉलोनियों को कार्रवाई से बचाने के लिए SDM चंदर सिंह सौलंकी ने इंदौर हाईकोर्ट में शपथ पत्र पर झूठा जवाब पेश किया। इस मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गरोठ के जागरूक नागरिकों और मन्दसौर के पत्रकार द्वारा 2021 से चलाए जा रहे अभियान के बावजूद, इन कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया को कथित तौर पर चलाने और कॉलोनाइजरों को संरक्षण देने का आरोप SDM पर लगा है।

मामले की पृष्ठभूमि
वर्ष 2021 से गरोठ के जागरूक नागरिक और मन्दसौर के पत्रकार ने सिद्धालय और माधव रेसीडेंसी कॉलोनियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। पूर्व SDM आरपी वर्मा, मुकेश शर्मा और रविंद्र परमार के कार्यकाल में हुई जांच में पाया गया कि इन कॉलोनियों के कॉलोनाइजरों ने डायवर्शन की अनुमति के अलावा कोई वैधानिक अनुमति नहीं ली थी। मामला SDM कोर्ट से कलेक्टर कोर्ट तक पहुंचा, जहां तत्कालीन कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने दोनों कॉलोनियों को अवैध घोषित कर कॉलोनाइजरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए। गरोठ नगर परिषद ने इस आधार पर गरोठ पुलिस थाने में FIR दर्ज की, जो वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।

SDM सोलंकी के कार्यकाल में की गई गड़बड़ियां
SDM चंदर सिंह सौलंकी के कार्यकाल में इन कॉलोनियों को वैध करने की कोशिश में दो बार विज्ञप्ति जारी कर आपत्तियां मांगी गईं। पहली विज्ञप्ति पर 7 आपत्तियां प्राप्त हुईं, लेकिन तत्कालीन तहसीलदार ने इनका उचित निराकरण नहीं किया और पहले से तय आदेश SDM को भेज दिए। SDM ने फाइल DUDA परियोजना अधिकारी को अग्रेषित कर दी। आपत्तिकर्ताओं का आरोप है कि उनके तर्कों को नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से आपत्तियों का निराकरण किया गया। एक आपत्तिकर्ता को सुनवाई की सूचना तक नहीं दी गई और नोटशीट पर कथित फर्जी हस्ताक्षर किए गए। सबसे बड़ी बात ये है कि ये सब प्रक्रिया हाईकोर्ट की रोक के बावजूद भी की गई।

हाईकोर्ट में दिया शपथ पत्र पर झूठा जवाब
गरोठ निवासी राकेश पाटीदार और बलराम ग्वाला ने इस मामले को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान SDM सौलंकी ने शपथ पत्र में दावा किया कि कॉलोनियों में भूखंड बिक चुके हैं और मकान बन गए हैं, इसलिए इन्हें वैध करने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, गरोठ नगर परिषद के CMO वीरेंद्र मेहता ने RTI के जवाब में खुलासा किया कि इन कॉलोनियों में कोई मकान निर्माण अनुमति नहीं दी गई। याचिकाकर्ताओं ने जियो-टैगिंग फोटो और वीडियो के साथ साबित किया कि कॉलोनियों में कोई मकान नहीं बने हैं और माधव रेसीडेंसी में शपथ पत्र की तारीख तक कोई भूखंड भी नहीं बिका था।

शपथ पत्र के साथ हाईकोर्ट में प्रस्तुत SDM का जवाब


अवैध प्लॉट बिक्री का खेल
हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद, माधव रेसीडेंसी में राहुल पाटीदार द्वारा प्लॉट बेचे जा रहे हैं और उनकी रजिस्ट्रियां भी हो रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह कार्य प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। सवाल उठता है कि ऐसी अनुमति किसने दी और यह अवैध कार्य किसके संरक्षण में चल रहा है। भविष्य में सभी रजिस्ट्रियां शून्य होने की आशंका बनी हुई है।

लोकायुक्त में भी हुई शिकायत
याचिकाकर्ता राकेश पाटीदार और बलराम ग्वाला ने TNCP की उपसंचालक, DUDA परियोजना अधिकारी, SDM, तहसीलदार और तत्कालीन CMO के खिलाफ उज्जैन लोकायुक्त में शिकायत दर्ज की है। शिकायत में अवैध कॉलोनियों को वैध करने के कथित प्रयासों की जांच की मांग की गई है, जो वर्तमान में प्रचलन में है।

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न्यायालय की अवमानना का आरोप
हाईकोर्ट ने कॉलोनियों में किसी भी कार्य पर रोक लगाई है,अभी भी मामला प्रचलन में है। लेकिन एसडीएम, तहसीलदार ने प्रकरणों की सुनवाई कर उनका निपटारा कर दिया, जिसे याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय की अवमानना बताया।

SDM कार्यालय में भ्रष्टाचार का हुआ भंडाफोड़
हाल ही में लोकायुक्त की कार्रवाई में SDM कार्यालय में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया, जहां एक चपरासी वर्षों से बाबूगिरी की आड़ में भ्रष्टाचार कर रहा था। इस घटना ने कार्यालय में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की आशंका को बल दिया है। बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद एसडीएम को गरोठ से हटाकर अन्यत्र पदस्थ करने की चर्चा भी है।

गरोठ के जागरूक नागरिकों में प्रशासन की कार्यप्रणाली के खिलाफ गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि कॉलोनाइजरों को संरक्षण देने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया और हाईकोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की गई। इस मामले में हाईकोर्ट की अगली सुनवाई और लोकायुक्त जांच के नतीजों पर सभी की नजरें टिकी हैं।

जिओ टैग फोटो ग्राफ जो याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए

यह कहना है इनका
“SDM ने हाईकोर्ट में झूठा जवाब पेश किया है। हाईकोर्ट की रोक के बावजूद कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया चलाना न्यायालय की अवमानना है। हमने अपना पक्ष कोर्ट में रख दिया है। – राकेश पाटीदार, याचिकाकर्ता

“दोनों कॉलोनियों में कोई मकान नहीं बने हैं, न ही शपथ पत्र की तारीख तक कोई भूखंड बिका था। फिर भी SDM ने झूठी जानकारी देकर कॉलोनाइजरों को बचाने की कोशिश की।”- बलराम ग्वाला, याचिकाकर्ता

Yogesh Porwal
Author: Yogesh Porwal

वर्ष 2012 से पत्रकारिता के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है। राष्ट्रीय समाचार पत्र हमवतन, भोपाल मेट्रो न्यूज, पद्मिनी टाइम्स में जिला संवाददाता, ब्यूरो चीफ व वर्ष 2015 से मन्दसौर से प्रकाशित दशपुर दिशा समाचार पत्र के बतौर सम्पादक कार्यरत, एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार है। पोरवाल, खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित है तथा खोजी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित भी किए जा चुके है। योगेश पोरवाल ने इग्नू विश्वविद्यालय दिल्ली एवं स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, न्यू मीडिया में पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्राप्त की, इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय से एलएलबी, एलएलएम और वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय से सायबर कानून में अध्ययन किया है।

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