जानिए कैसे होती है साइबर ठगी, उनसे बचने के उपाय और कानूनी उपचार

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साइबर कानून में गोल्ड मेडलिस्ट एडवोकेट चंदन कुमार साबरे ने साइबर ठगी से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लेख लिखा है, जो आमजन के लिए साइबर सुरक्षा हेतु कारगर सिद्ध होगा

मन्दसौर। भारत में तेजी से डिजिटलाइजेशन एवं नवीन तकनीक के साथ तकनीकी फ्रॉड जिसे हम साइबर क्राइम के नाम से जानते है भी बढ़ गया है। साइबर अपराधी नए नए तरीकों से लोगो को लूटते है। कुछ समय पहले आपका एटीएम ब्लॉक करने की धमकी देने के नाम आप लोगो से ठगी होती थी। बाद में ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए इस अपराध में बढ़ोतरी हुई। धीरे धीरे ठगी के नए तरीके बाजार में आने लगे।
ठगी का एक औऱ भयंकर तरीका भी निकला है, उसमे पहले आईएसआई जैसी पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी शामिल थी। ये लोग आर्मी, एयर फोर्स या नेवी के अफसरों को टारगेट करते थे। खूबसूरत लड़कियां उन्हें अपने जाल में फंसाती और फिर उनसे जानकारियां मांगी जाती। इस पूरे मामले में डर के मारे ये लोग सारी जानकारी दे देते थे। इसे कहते है हनी ट्रैप और ये ठगी का बेहद कारगर तरीका है।
वर्तमान में साइबर ठगी के कई प्रकार प्रचलित हैं, जो डिजिटल उपकरणों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स के उपयोग में बढ़ोतरी के साथ तेजी से बढ़े हैं।
कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

1.फिशिंग (Phishing)- फर्जी ईमेल, एसएमएस, या वेबसाइट के माध्यम से उपयोगकर्ताओं से संवेदनशील जानकारी (जैसे, पासवर्ड, बैंक डिटेल्स) चुराना।
– उदाहरण: “आपका बैंक खाता ब्लॉक हो गया है, कृपया इस लिंक पर क्लिक करके जानकारी अपडेट करें।”

2.डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड- फोन कॉल के माध्यम से ठगी। कॉलर खुद को पुलिस, साइबर क्राइम अधिकारी या किसी सरकारी एजेंसी का प्रतिनिधि बताता है।

3.स्मिशिंग- एसएमएस के जरिए संवेदनशील जानकारी चुराने की कोशिश। उदाहरण: नकली लॉटरी या पुरस्कार जीतने का संदेश भेजकर।

4.मालवेयर अटैक- किसी सॉफ्टवेयर या लिंक के जरिए वायरस/मालवेयर इंस्टॉल कर उपयोगकर्ता की डिवाइस से डेटा चुराना। उदाहरण: रैनसमवेयर अटैक, जिसमें डेटा को एन्क्रिप्ट कर फिरौती मांगी जाती है।

5.साइबर स्कैम्स- नकली निवेश योजनाएं, ई-कॉमर्स साइट्स पर फर्जी प्रोडक्ट्स बेचना। उदाहरण: क्रिप्टोकरेंसी या मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कैम।

6.सोशल मीडिया ठगी- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर लोगों को धोखा देना। उदाहरण: प्यार या दोस्ती के नाम पर पैसे मांगना।

7.इंश्योरेंस और लोन फ्रॉड- कम ब्याज दर पर लोन या नकली बीमा पॉलिसी का झांसा देकर ठगी।

8.क्रेडिट/डेबिट कार्ड फ्रॉड- कार्ड की डिटेल्स चुराकर या क्लोनिंग करके पैसे निकालना। ऑनलाइन पेमेंट्स में इंटरसेप्शन करके फ्रॉड ट्रांजैक्शन करना।

9.आईडेंटिटी थेफ्ट- किसी की व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग कर उसके नाम से धोखाधड़ी करना। उदाहरण-फर्जी अकाउंट खोलना, लोन लेना।
10.डीपफेक्स और फेक वीडियो- एआई तकनीक का उपयोग करके नकली वीडियो या ऑडियो बनाना और इसका दुरुपयोग करना।

11.क्यूआर कोड स्कैम-नकली क्यूआर कोड के माध्यम से पैसे चोरी करना।

12. वर्क फ्रॉम होम या फ्रीलांसिंग स्कैम-नकली जॉब या फ्रीलांस प्रोजेक्ट का झांसा देकर पैसे लेना।

साइबर ठगी से बचने के लिए सतर्कता और सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है। सभी प्रकार की साइबर ठगी से बचने के लिए कुछ सामान्य और विशेष उपाय हैं जिनका पालन कर साइबर ठगी से बच सकते हैं।
🔹संदिग्ध ईमेल/लिंक पर क्लिक न करें। अज्ञात कॉल्स और एसएमएस से सतर्क रहें।अगर कोई आपसे व्यक्तिगत या बैंक जानकारी मांग रहा है, तो सीधे संबंधित संस्था से संपर्क करें।URL की जांच करें।केवल HTTPS प्रोटोकॉल वाली साइट्स का उपयोग करें।

🔹सुरक्षित और विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें।अनजान सॉफ़्टवेयर या अटैचमेंट्स डाउनलोड न करें। अपने डिवाइस को नियमित रूप से अपडेट करें।

🔹असामान्य लाभ वाली योजनाओं से बचें अगर कोई स्कीम या निवेश असली लगने से अधिक लाभदायक लगे, तो पहले उसकी जांच करें।

🔹ई-कॉमर्स साइट्स पर खरीदारी करते समय सावधान रहें केवल प्रमाणित और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म से खरीदारी करें। ई-कॉमर्स साइट्स पर कार्ड सेव न करें, संवेदनशील जानकारी वाले कार्ड का इस्तेमाल केवल सुरक्षित नेटवर्क पर करें, अपने बैंक खातों की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करें।

🔹महत्वपूर्ण दस्तावेज़ (आधार, पैन) को सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर साझा न करें, अगर कोई अनधिकृत गतिविधि नजर आए, तो तुरंत संबंधित संस्था को सूचित करें एवं दो-चरणीय प्रमाणीकरण (2FA) का उपयोग करें।

🔹ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो और ऑडियो पर तुरंत भरोसा न करें, यदि कोई संदिग्ध जानकारी दिखे, तो अन्य स्रोतों से सत्यापन करें।

🔹किसी अज्ञात क्यूआर कोड को स्कैन न करें,क्यूआर कोड स्कैन करते समय यह सुनिश्चित करें कि स्रोत विश्वसनीय है।

🔹नौकरी का ऑफर मिलने पर कंपनी की प्रामाणिकता की जांच करें, कोई भी अग्रिम भुगतान न करें, अनजान लिंक पर क्लिक करके अपना रिज्यूमे या व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

भारत में साइबर ठगी से निपटने के लिए विभिन्न कानून और प्रावधान बनाए गए हैं। ये कानून साइबर अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करते हैं जिनमें प्रमुख रूप से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम(आईटी अधिनियम), भारतीय न्याय संहिता,कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट इत्यादि है जिनके तहत साइबर ठगी के दोषियों को कैद और आर्थिक दंड का प्रावधान है। अपराध की गंभीरता के आधार पर यह दंड बढ़ सकता है।

साइबर ठगी के खिलाफ कार्रवाई में कानून और जागरूकता दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसी भी प्रकार की ठगी का शिकार होने पर तुरंत शिकायत दर्ज करें।
साइबर ठगी की शिकायत कहां करें-
1.साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर: 1930 (ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत के लिए)।
2.साइबर क्राइम पोर्टल: [https://cybercrime.gov.in](https://cybercrime.gov.in)।
3. नजदीकी पुलिस स्टेशन: साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करें।

साइबर सुरक्षा में जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। सतर्क रहें और सुरक्षित रहें।

Dashpur Disha
Author: Dashpur Disha

दशपुर दिशा समाचार पत्र भारत के प्रेस महापंजीयक कार्यालय नई दिल्ली से पंजीकृत है। दशपुर दिशा मालवांचल में खोजी पत्रकारिता के लिए चर्चित समाचार पत्र है। www. dashpurdisha.com हमारी अधिकृत वेबसाइट है।

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