दशपुर दिशा । दीपक सोनी
जावरा। मध्यप्रदेश के रतलाम ज़िले में स्थित जावरा नगर पालिका परिषद सीएमओ कार्यालय के बाहर एक परिवार सोमवार धरने पर बैठ गया।शिकायत सुनने सीएमओ दुर्गा बामनिया आई तो तत्काल निराकरण की बात पर अड़ गए ऐसे में सीएमओ बामनिया शिकायत सुन परिषद के कार्यों से जुड़ी मीटिंग में व्यस्त हो गईं। लगभग 2 घंटे बीतने के बाद भी धूप में बैठा परिवार टस से मस नहीं हुआ। फिर SDM के कहने पर तहसीलदार द्वारा मामला संज्ञान में लिया गया और आश्वासन पर मामला शांत हुआ और मंगलवार सुबह तहसीलदार, पटवारी ओर नगर पालिका परिषद की आधिकारिक टीम शिकायत पर मंथन करने वार्ड नंबर एक के वाद विवाद परिदृश्य को समझने पहुंची। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता भेरूलाल पोरवाल का कहना हैं कि जावरा वार्ड नंबर एक के भाजपा पार्षद के परिवार जनों द्वारा अवैध रूप से घर के पास वाली गली के साथ उनके मकान के बाहर तक अतिक्रमण कर लिया है,अतिक्रमण के चलते फरियादी के घर का रास्ता भी बंद हो गया हैं। वे पिछले 6 वर्ष से शिकायत कर रहे हैं शिकायत के चलते अतिक्रमण धारी मूलचंद पिता नंदाजी गेहलोत के परिवार जनों ने शिकायतकर्ता भेरूलाल पोरवाल की पत्नी व बच्चियों के साथ मारपीट की, मारपीट के बाद मामला रविवार के दिन सिटी थाने पहुंच गया, प्रताड़ना से परेशान होकर भैरूलाल पिता मांगीलाल पोरवाल स्वयं अपनी पत्नी, व दो बच्चियों के साथ अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर जावरा नगर पालिका परिषद् में सोमवार को धरने पर बैठे रहे। सुनवाई नहीं होने पर शिकायतकर्ता मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय धरना देने पहुंचे। शिकायतकर्ता की पत्नी प्रियंका पोरवाल द्वारा पूर्व में सूचना अधिकार में मूलचंद पिता नंदाजी गेहलोत के भवन निर्माण कि उक्त भूमि की 1980 से वर्तमान तक का रिकॉर्ड मांगा गया था जो कि नगर पालिका परिषद के द्वारा मूलचंद पिता नंदाजी गेहलोत से मांगा भी गया था लेकिन 1980 से वर्तमान तक के रिकॉर्ड को लेकर उन्होंने व्यक्तिगत जानकारी का उल्लेख कर जानकारी देने से ना कर दिया जिस बाबत निकाय द्वारा पत्र क्रमांक 258 के अनुसार 19/4/2022 से सूचना के संबंध में जानकारी सौंपी गई। वहीं नगर पालिका परिषद द्वारा विषय की गंभीरता पर जांच के बाद मीडिया द्वारा जवाब मांगने पर बताया की नगर पालिका परिषद के राजस्व रिकॉर्ड में नगर पालिका परिषद की सर्वे रिपोर्ट में गली नहीं हैं। यह सर्वे 2001 में किया गया था वहीं स्थानीय निवासी से जानकारी लेने पर उन्होंने कहा की यहां शासकीय गली थी। चुकीं तहसीलदार संदीप इवने का कहना हैं कि मौखिक आधार पर गली बताना मान्य नहीं होगा हमें लिखित दस्तावेज चाहिए वहीं इस ओर दस्तावेज का आधार माने तो पूर्व में बस्ती क्षेत्र होने से 1975 से पहले का सीमांकन भूमि नक्शा रिकॉर्ड किसी के पास नहीं है ऐसे में सिर्फ़ नगर पालिका परिषद द्वारा रहवासी क्षेत्र के आधार पर भूमि स्वामी के नक्शे को मान्य कर उसे सही ठहराना कहा का तर्क सही है। आखिर शासन की चल अचल संपत्ति में राजस्व की भूमि रिकॉर्ड में कहा ग़लती हुई इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।

Author: Dashpur Disha
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